खुदा का है एक एहसान मुझ पर; जो दिया है एक एहसास तेरा.
मिलवा कर मुजसे; बताया उसने कोई है मेरे लिए भी.
कहते है होते हैं सब अलग; फिर तू मुजसा कैसे?
मुजसा जो तू है, तो मुजसे जुदा कैसे?
खामोश है यह दिल;कहूँ तो क्या कहु.
अक्सर आसमान को देख के सोचती हू -
क्या राज़ है जो चाँद मे भी है अक्स तेरा?
क्या ये प्यार है या है एक भर्म मेरा?
उदास है चेहरा मेरा; नम है अश्क मेरे
हस्सते है लभ फिर भी, जब दिखता है इश्क़ तेरा.
खुदा वो है जिससे हम जानते हैं ओर विश्वास वो है जिससे हम मानते हैं
तो आ मिले इन्न हवाओं मे, तो आ दिखे इन्न सितारो मे,
तो आ महसूस करे दूण्या - एक दूसरे मे,
तो आ मिले कुछ इस तरह, जिसे पहले ना देखा हो ज़माने ने!
Khuda ka hai ek ehsaan mujh par; Jo dia hai ek ehsaas tera.
Milwa kar tuje mujse; Bataya usne koi hai mere liye bhi.
Kehte hai hote hain sab alag;Fir tu mujsa kaise?
Mujsa jo tu hai, toh mujse judaa kaise?
Khamosh hai yeh dil; kahun to kya kahu.
Aksar aasman ko dekh ke
sochti hu -
Kya raaz hai jo chand me bhi hai aks tera?
Kya ye pyar hai ya hai ek bharm mera?
Udaas hai chehra mera; namm hai ashq mere
Hasste hai labh fir bhi, jab dikkhta hai ishq tera.
Khuda vo hai jisse hum jaante hain
Or Vishwas vo hai jisse hum maante hain
To aa mile inn hawao me,
to aa dikhe inn sitaro me,
to aa mehsoos kare dunya - ek dusre me,
to aa mile kuch iss tarah,
jise pehle na dekha ho zamane
ne!